रांची। झारखंड में जारी शराब घोटाले में उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार पर गंभीर आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मनोज कुमार को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। सोमवार को उनसे गहन पूछताछ होगी। उन पर फर्जी बैंक गारंटी को छिपाने, अवैध वसूली को संरक्षण देने और एक खास बीयर कंपनी को लाभ पहुंचाने जैसे संगीन आरोप हैं। इस घोटाले से राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
एसीबी की जांच में खुलासा हुआ है कि फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर मैनपावर आपूर्ति करने वाली एजेंसियों को ठेके दिए गए। मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज जैसी कंपनियों ने 2023 से फर्जी गारंटी के जरिए काम शुरू किया, जिससे सरकार को 38 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि नवंबर 2024 में छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ओम साईं विबरेजेज प्राइवेट लिमिटेड को बिना मंत्री की जानकारी के 11 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया, जबकि इन कंपनियों पर 450 करोड़ रुपये का बकाया था। मनोज कुमार पर इन अनियमितताओं को छिपाने का आरोप है।
शराब पर अवैध वसूली और खास बीयर कंपनी को लाभ
शराब घोटाले में एक और सनसनीखेज खुलासा यह है कि एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बिक्री के जरिए अवैध वसूली की गई। जांच के अनुसार, बीयर की प्रति बोतल पर 10 रुपये अतिरिक्त वसूले गए, जिससे हर महीने करीब 48 लाख रुपये और सालाना 57 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई। यह पैसा नीरज कुमार सिंह और मनोज कुमार के करीबी रिश्तेदार अंशु के जरिए पहुंचाया जाता था। अंशु को हर माह 50 लाख रुपये दिए जाते थे।
इसके अलावा, एक खास बीयर कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए अन्य ब्रांडों की आपूर्ति रोककर दबाव बनाया गया। दुकानदारों को इस कंपनी की बीयर बेचने के लिए मजबूर किया गया, जिसके पीछे मनोज कुमार की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
एसीबी की कार्रवाई और गिरफ्तारियां
एसीबी ने इस मामले में अब तक 27 लोगों को पूछताछ के लिए समन जारी किया है। पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, और झारखंड स्टेट बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार और सुधीर कुमार दास को गिरफ्तार किया जा चुका है।
नीरज कुमार सिंह, जो अवैध वसूली का प्रमुख किरदार माना जाता है, भी जेल में है। छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है, क्योंकि वह पूछताछ में शामिल नहीं हुए। एसीबी ने पूर्व आयुक्त अमित प्रकाश से भी पूछताछ की, लेकिन उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए।
दो आईएएस अधिकारियों, करण सत्यार्थी और फैज अक अहमद, जिन्होंने इस घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, को एसीबी ने गवाह के तौर पर बुलाया है। इनसे पूछताछ के दौरान नए तथ्य सामने आने की उम्मीद है।
जानकारी के मुताबिक, सरकार मनोज कुमार को उनके पद से हटाने की कार्रवाई शुरू कर सकती है। जांच में यह भी सामने आया है कि मनोज कुमार ने नौ महीनों में 200 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया। एसीबी का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इस घोटाले की जानकारी मनोज कुमार को थी और अब उनसे सख्त पूछताछ की जाएगी।