नई दिल्ली। पांच वर्षों के लंबे इंतजार के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर बाबा के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए शुरू हो गई है। शुक्रवार को हर-हर महादेव के जयकारों के बीच पहला जत्था धार्मिक उत्साह और आस्था के साथ रवाना हुआ। वर्ष 2019 के बाद पहली बार है जब यह पवित्र यात्रा फिर शुरू की गई है। कोरोना महामारी के कारण यात्रा पर रोक लगा दी गई थी, जो अब हट दी गई है।
विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित विशेष समारोह में विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने यात्रा का शुभारंभ किया। उन्होंने चीनी पक्ष द्वारा सहयोग प्रदान करने और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की सक्रिय भूमिका के लिए आभार प्रकट किया।
उन्होंने बताया कि यात्रा 15 जून से 25 अगस्त तक चलेगी। यात्रा उत्तराखंड और सिक्किम के मार्गों से हो रही है, जिसमें कुल पांच बैच भेजे जाएंगे। हर बैच में 50 तीर्थयात्रियों को शामिल किया गया है। इस साल कुल 750 यात्रियों का चयन किया गया है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल हिंदू श्रद्धालुओं, बल्कि जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी गहन धार्मिक महत्व रखती है। इस यात्र को मोक्ष की ओर ले जाने वाली यात्रा माना जाता है।
धर्मार्थ कार्य विभाग और यूपीएसटीडीसी की ओर से तीर्थयात्रियों के ठहरने, खानपान और मार्गदर्शन की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। तीर्थ यात्रियों के लिए विशेष वातनूकुलित भवन तैयार किया गया है, इसमें एक समय में 288 श्रद्धालु ठहर सकते हैं। साथ ही, यात्रियों को राज्य पर्यटन विभाग द्वारा तैयार ब्रोशर किट भी दी जा रही हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत और चीन के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी बन चुकी है। केंद्र सरकार इस यात्रा के पुनः संचालन को एक सकारात्मक संकेत मान रही है, जो धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल भी है।
पांच साल बाद फिर शुरु हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, हर-हर महादेव के जयकारों के बीच पहला जत्था रवाना
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