कनाडा में कई खालिस्तानी संगठन सक्रिय हैं, जो भारत के खिलाफ अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. सिख फॉर जस्टिस (SFJ), खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF), खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF), खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) और खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) जैसे संगठन विदेशों से भारत में अशांति फैलाने का प्रयास करते हैं. ये ग्रुप पाकिस्तान की ISI से समर्थन प्राप्त करते हैं और कनाडा, यूके, जर्मनी जैसे देशों में अपना नेटवर्क फैलाए हुए हैं.

भारत सरकार ने इन सभी को UAPA के तहत प्रतिबंधित किया है, लेकिन ये संगठन विदेशी धरती से भारत-विरोधी प्रचार और हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. हाल ही में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत-कनाडा संबंधों में तनाव भी बढ़ा है.

सिख फॉर जस्टिस
सिख फॉर जस्टिस (SFJ) एक अमेरिकी आधारित अलगाववादी संगठन है जिसकी स्थापना 2007 में वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू ने की थी. यह समूह भारत के पंजाब क्षेत्र से अलग होकर एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र खालिस्तान के निर्माण की वकालत करता है. SFJ ने खालिस्तान आंदोलन के लिए सिख प्रवासियों के बीच समर्थन जुटाने के उद्देश्य से “रेफ़रेंडम 2020” नाम अपने नापाक कृत्यों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करता रहा है.

भारत सरकार ने जुलाई 2019 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत SFJ पर प्रतिबंध लगा दिया. सरकार ने इसमें राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में इसकी संलिप्तता का हवाला दिया गया. साल 2020 में, एक न्यायाधिकरण ने प्रतिबंध को बरकरार रखा और 2024 में भारत सरकार ने इसे और 5 साल के लिए बढ़ा दिया है. इस ग्रुप के सरपस्त गुरपतवंत सिंह पन्नून को भी भारत ने आतंकवादी घोषित किया है.

SFJ को फर्ज़ी जनमत संग्रह करवाना, भारतीय दूतावासों पर विरोध प्रदर्शन करने और डिजिटल प्रचार में करके भारत और पूरी दुनिया में रह रहे सिक्खों को भड़कान के लिए जाना जाता है. हालांकि इस संगठन पर कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में प्रतिबंध नहीं है. भारत समय-समय पर कूटनीतिक दबाव बनाता रहता है. हालांकि SFJ कानूनी और राजनीतिक सक्रियता के माध्यम से अहिंसक मार्ग पर चलने का दावा करता है, लेकिन भारत में कई अपराधों में उसका नाम आता रहता है. भारत में कई कानूनी कार्रवाइयों और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित है, लेकिन SFJ विदेशों में सिख समुदायों के लोगों में भारत विरोध प्रचार करता रहता, खासकर उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में.

खालिस्तान लिबरेशन फोर्स
SFJ की तरह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) भी प्रतिबंधित सिख उग्रवादी संगठन है, जो भारत से अलग होकर सिखों के लिए एक अलग देश की मांग करता है. 1980 के दशक में केएलएफ पंजाब में उग्रवाद काल के दौरान सबसे सक्रिय विद्रोही समूहों में से एक के रूप में उभरा था.

केएलएफ को भारत में राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के खिलाफ हत्या, बम विस्फोट और हमलों सहित कई आतंकवादी कृत्यों संलिप्त पाया गया है. इनके गुर्गों के कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं में भी हाथ थे. इसे पंजाब में अलगाववादी हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदारों में से माना जाता था.

पिछले कुछ वर्षों में इस संगठन को अलग-अलग लोगों ने चलाया है, इनमें हरमिंदर सिंह मिंटू भी शामिल है, मिंटू को 2014 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जेल में उसकी मृत्यु हो गई थी. एक अन्य केएलएफ का सरगना हरमीत सिंह उर्फ ​​पीएचडी है, जिसकी साल 2020 में रहस्यमय परिस्थितियों में पाकिस्तान में मारा गया था.

भारत सरकार ने केएलएफ को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया है. भारत सरकार ने इस समूह को आतंकवादी गतिविधियों में इसकी शामिल और विदेश में भारत विरोधी नेटवर्क के साथ संबंधों में संलिप्त पाया गया है. सुरक्षा एजेंसियों ने इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) से समर्थन प्राप्त करने के आरोप लगे हैं. इसपर सोशल मीडिया प्रचार और भर्ती अभियानों से पंजाब में उग्रवाद को पुनर्जीवित करने का प्रयास करने के का काम करने की कोशिशें की हैं.

आधिकारिक प्रतिबंध के बावजूद केएलएफ गुप्त रूप से अपने देश विरोधी गतिविधियों को जारी रखता है. इसके प्रवासी-आधारित समर्थक और वित्तीय नेटवर्क कथित तौर पर कनाडा, यूके और जर्मनी जैसे देशों में सक्रिय हैं.

खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स
खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स भारत में प्रतिबंधित सिख उग्रवादी संगठन है जो खालिस्तान की स्थापना के मनसूबे पाले रखता है. 1980 के दशक में अस्तित्व में आए इस संगठन के चलते पंजाब में अलगाववादी को बढ़ावा मिला था. यह संगठन भारत और विदेशों में हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है.

KZF की स्थापना जम्मू के एक उग्रवादी रंजीत सिंह नीटा ने की थी, जो बाद में पाकिस्तान भाग गया. आरोप यह भी है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से समर्थन मिला. वह भारत के वांडेट आतंकवादियों में से एक है. यह संगठन बम विस्फोट, लक्षित हत्याएँ, सीमा पार से हथियारों की तस्करी, स्लीपर सेल और विदेशी फंडिंग का उपयोग करके पंजाब में उग्रवाद को फिर से पुनर्जीवित करने के प्रयास करता रहता है.

पिछले कुछ वर्षों में, KZF ने भारत के बाहर अपने अपने पांव पसारे हैं. इस संगठन का नेटवर्क जर्मनी, कनाडा, यूके और मलेशिया में सक्रिय हैं. हाल के कुछ वर्षों में समूह ने पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता रहता है. साल 2019 में, पंजाब में KZF के जुड़े बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया था और हथियारों और विस्फोटकों के जखीरे के साथ कई गुर्गों को गिरफ्तार किया गया था. जांच से पता चला कि मॉड्यूल को जर्मनी और पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था. भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत KZF पर प्रतिबंध लगा दिया है. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खुफिया सहयोग के माध्यम से इसकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रही है.

खालिस्तान टाइगर फोर्स
खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) हिंसक और चरमपंथी तरीकों से खालिस्तान के निर्माण की वकालत करता है. इसलिए भारत में प्रतिबंधित किया गया है. पंजाब में अलगाववाद के दौरान हत्याओं, युवाओं की भर्ती और हथियारों और विस्फोटकों की सीमा पार तस्करी समेत कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है. इस संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) का करीबी समर्थन प्राप्त है.

KTF के सबसे प्रसिद्ध नेताओं में से एक भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर था. निज्जर पर भारतीय अधिकारियों ने कई हिंसक वारदातों में शामिल होने और सिख युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का आरोप लगाया था. निज्जर को जून 2023 में कनाडा में गोली मार दी गई थी जिसके बाद भारत और कनाडा के बीच एक बड़ी कूटनीतिक दरार पैदा हो गई थी.

KTF कनाडा, यूके, जर्मनी और मलेशिया में सक्रिय है और विदेशों में स्थित खालिस्तानी संगठनों के एक नेटवर्क का बड़ा हिस्सा है. ये संगठन डिजिटल प्रचार, सोशल मीडिया अभियान और प्रवासी समुदायों के बीच धन उगाही का उपयोग करके अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करते हैं. भारत सरकार ने केटीएफ को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक आतंकवादी संगठन के रूप में चिन्हित किया है. और वैश्विक स्तर पर इसकी गतिविधियों की निगरानी जारी रखी है.

खालिस्तान कमांडो फोर्स
खालिस्तान कमांडो फोर्स भी उन संगठनों में है जिसका उदय और विस्तार 1980 के दशक के हुआ था. पंजाब में अलगाववादी आंदोलन फायदा उठाते हुए ये सिख समुदाय में जड़े जमाने में कामयाब रहा था. यह संगठन पिछले 45 सालों से खालिस्तान का राग अलाप रहा है. इसकी स्थापना मनबीर सिंह चहेरू ने की थी और बाद में इसकी कमान परमजीत सिंह पंजवार ने पास आ गई. मई 2023 में पाकिस्तान के लाहौर में मारे जाने वही उसे चला रहा था. इस समूह ने कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं, बम विस्फोटों, जबरन वसूली और सुरक्षा बलों पर हमलों जैसी कुख्याति वारदातों को अजाम दिया है.

यह संगठन पंजाब में अलगाववाद के दौरान सबसे घातक संगठनों में से एक था. इसने 1980 और 1990 के दशक में राज्य में फैली हिंसा में सक्रिता दिखाई थी. KCF सरकारी अधिकारियों और नागरिकों, विशेष रूप से खालिस्तान आंदोलन का विरोध करने वालों को निशाना बनाने के लिए जिम्मेदार था.

1990 के दशक के बाद से देश में इसकी कार्रवाई पर नकेल कसी गई है, लेकिन यह संगठन विदेशों में सक्रिय है. इसका नेटवर्क पाकिस्तान, कनाडा, जर्मनी और यूके में सक्रिय है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि इस संगठन को पाकिस्तान की आईएसआई से समर्थन प्राप्त है. भारत सरकार ने केसीएफ को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया है. इसके कई नेताओं को आतंकवादी तक घोषित किया गया है