उत्तर प्रदेश के इटावा में अनोखी शादी हुई. यहां महज पांच मिनट में प्रेमी युगल ने मंदिर में एक-दूसरे को माला पहनाकर वैवाहिक बंधन में बंधने का फैसला कर लिया. न फेरे हुए, न कोई भव्य आयोजन, केवल सच्चे प्रेम, आपसी सहमति और भगवान को साक्षी मानकर ये विवाह हुआ. अब ये विवाह चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जा रहा है कि दिल्ली की एक निजी कंपनी में साथ काम करते हुए युवक-युवती एक-दूसरे को दिल दे बैठे.
युवक का नाम भोले शंकर है. वो 23 साल का है. युवक मढैया दिलीप नगर, इटावा का रहने वाला है. उसका बिहार की रहने वाली 22 साल के युवती पन्ना कुमारी के साथ प्रेम करीब 10 महीने में परवान चढ़ा. जब परिवार ने शादी से इनकार किया, तो पन्ना ने साहसिक कदम उठाते हुए अपना घर छोड़ दिया और दो दिन पहले सीधे अपने प्रेमी के पास इटावा पहुंच गई. इसके बाद प्रेमी युगल विवाह के लिए इटावा कचहरी स्थित मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने रजिस्टर्ड मैरिज की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन इसी दौरान युवती के परिजन भी वहां पहुंच गए और विवाह रोकने की कोशिश की.
जीवन भर साथ निभाने की कसमें खाईं
हालात तनावपूर्ण होते देख अधिवक्ता अमित त्रिपाठी ने दोनों पक्षों से बातचीत कर माहौल को शांत किया. उनकी मध्यस्थता के बाद दोनों परिवारों की मौजूदगी में मंदिर परिसर में सादे रूप में विवाह संपन्न हुआ. भगवान को साक्षी मानकर दोनों ने एक-दूसरे को माला पहनाई और जीवन भर साथ निभाने की कसमें खाईं. विवाह के बाद मंदिर परिसर में लोगों की भीड़ जुट गई और मामला मीडिया तक पहुंच गया. अधिवक्ता अमित त्रिपाठी ने बताया कि दोनों ने आपसी सहमति से शादी की है और आगे चलकर इसकी विधिक प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी.
युवक बोला- हम बेहद खुश हैं
अमित त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे मामलों में समाज को जाति-पाति के भेदभाव से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है. इससे युवाओं को आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठाने से रोका जा सकेगा और समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा. वहीं युवक भोले शंकर ने कहा हम दोनों एक-दूसरे से सच्चा प्रेम करते हैं. परिवार के विरोध के बावजूद हमनें शादी का निर्णय लिया और आज हम बेहद खुश हैं.
यह प्रेम कहानी समाज के लिए सशक्त संदेश
पन्ना कुमारी ने कहा कि मेरे परिवार वाले शादी के खिलाफ थे, लेकिन मैंने अपने दिल की सुनी और भोले के पास आ गई. आज हम दोनों एक हैं और यही हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी है. इटावा की यह प्रेम कहानी समाज के लिए एक सशक्त संदेश है. सच्चा प्रेम न रस्मों का मोहताज होता है, न रीति-रिवाजों का. जब दो दिल एक हों, तो ईश्वर ही सबसे बड़ा साक्षी होता है.