Monsoon 2025: देश में मानसून की धीमी पड़ी रफ्तार 11 जून के आसपास फिर से जोर पकड़ेगा। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में एक नया मौसम तंत्र बनने की संभावना है, जिससे मानसून दोबारा सक्रिय होगा और देश के शेष हिस्सों में आगे बढ़ेगा। इस वर्ष मानसून ने 24 मई को केरल में समय से पहले दस्तक दी। यह पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्द शुरुआत रही। लेकिन, शुरुआती उत्साह के बाद मानसून की रफ्तार धीमी पड़ गई।

तपाए बिना बीत गया नौतपा

इस बार मौसम की पहेली ने लोगों को हैरान कर रखा है। 25 मई से दो जून तक नौतपा बिना तपाए ही बीत गया तो समय से पहले आया मानसून ठिठक गया। हालांकि मौसम विभाग ने पूरे मौसम में सामान्य से 105 फीसदी अधिक वर्षा का अनुमान जताया गया है, जिससे खरीफ फसलों की बुआई को समय रहते गति मिल सकती है।

मानसून की रुकावट से किसान परेशान

देश के लगभग 50 फीसदी कृषिभूमि अब भी वर्षा पर निर्भर है। ऐसे में मानसून की शुरुआत ने किसानों में उत्साह जगाया था, लेकिन रुकावट ने निराशा भी बढ़ाई है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्यों में सोयाबीन, कपास, मक्का, धान और गन्ने की बुआई प्रभावित हो रही है। किसान अब बुआई रोककर वर्षा का इंतजार कर रहे हैं ताकि पर्याप्त मिट्टी की नमी मिल सके। देश की लगभग चार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा मानसून, भारत को खेतों की सिंचाई और जलाशयों को भरने के लिए आवश्यक लगभग 70 फीसदी वर्षा प्रदान करता है।

छत्तीसगढ़ः 30 साल में सबसे ठंडा गुजरा नौतपा

-छत्तीसगढ़ में पिछले 30 साल में नौतपा सबसे ठंडा गुजरा है। नौतपा में औसतन अधिकतम तापमान 41.8 डिग्री रहा है। इस बार यह 35 डिग्री तक लुढ़क गया।
-नौतपा 25 मई से 2 जून तक रहा। इन नौ दिनों में भीषण गर्मी गायब रही। सामान्यत: नाैतपा में लू चलने का ट्रेंड रहा है। नौतपा तो तपा ही नहीं, मई महीना भी ठंडा गुजर गया।

-पिछले 10 सालों में पिछले साल 30 मई को अधिकतम तापमान 46.8 डिग्री पर पहुंच गया था। इस साल 13 मई को पारा 41.8 डिग्री पर पहुंचा था। इसके बाद पारा चढ़ने के बजाय उतरता रहा।
-बंगाल की खाड़ी में सिस्टम कमजोर होने से मानसून दंतेवाड़ा के आसपास से आगे नहीं बढ़ा है। पिछले दो दिनों में दंतेवाड़ा में बारिश भी नहीं हुई है।

मोदी ने उत्तर-पूर्वी राज्यों के सीेएम से की बातः

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारी बारिश का कहर झेल रहे उत्तर-पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपाल से बात की। उन्होंने बारिश का कहर झेल रहे उत्तर-पूर्वी राज्यों को हर संभव मदद का भरोसा जताया। पिछले कुछ दिनों से बारी बारिश और भू-स्खलन से जान गवाने वालों की संख्या 36 पहुंच गई है और करीब छह लाख लोग इससे प्रभावित हैं।