पोलैंड: पोलैंड के राष्ट्रपति चुनाव में कंजर्वेटिव नेता करोल नवरोकी ने कड़े मुकाबले में जीत हासिल कर ली है. मतगणना के अंतिम आंकड़ों के मुताबिक नवरोकी को इस बेहद करीबी मुकाबले में 50.89 फीसदी मत हासिल हुए. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी वारसॉ के मेयर रफाल ट्रजास्कोव्स्की को 49.11 प्रतिशत वोट मिले. 

रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या असर डालेगी नवरोकी की जीत?
रूस-यूक्रेन युद्ध मौजूदा वक्त में यूक्रेनी सेना द्वारा रूस के 5 एयरबेस पर बड़े ड्रोन हमले से 3 साल के अपने सबसे घातक दौर में पहुंच चुका है. रूस यूक्रेन पर भारी पलटवार कर सकता है. ऐसे में पोलैंड के राष्ट्रपति चुनाव में कंज़र्वेटिव उम्मीदवार करोल नवरोकी की संभावित जीत रूस-यूक्रेन युद्ध पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है. बता दें कि नवरोकी दक्षिणपंथी पार्टी 'लॉ एंड जस्टिस'के करीबी माने जाते हैं. उन्होंने ने अपने चुनावी अभियान में यूक्रेन के प्रति पोलैंड की नीति को लेकर कई निर्णायक संकेत दिए हैं.

यूक्रेन को पोलैंड का सैन्य समर्थन और सहयोग हो सकता है कम
नवरोकी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक पोलैंड के लिए ऐतिहासिक रूप से संवेदनशील मुद्दे जैसे वोल्हिनिया नरसंहार हल नहीं होते, तब तक वे यूक्रेन को नाटो या यूरोपीय संघ में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं. उनका यह भी कहना है कि अब तक पोलैंड ने यूक्रेन को पर्याप्त सहायता दी है, लेकिन आगे के रिश्ते 'प्रतिस्पर्धा' और 'राष्ट्रीय हितों' पर आधारित होंगे न कि केवल सहयोग पर. नवरोकी यूक्रेन में पोलिश सैनिकों की तैनाती के भी खिलाफ हैं. इससे जाहिर है कि यूक्रेन को पोलैंड का सैन्य समर्थन और सहयोग नवरोकी के राष्ट्रपति बनने के बाद कम हो सकता है. यह यूक्रेन के लिए बड़ा झटका होगा.

नवरोकी की रुख से यूक्रेन के सहयोगी भी चिंतित
नवरोकी के रुख से सिर्फ यूक्रेन ही नहीं बल्कि उसके सहयोगी भी चिंतित हैं. यूक्रेन खुद भी पोलैंड का समर्थन कम होने की आशंका से घबराया हुआ है. ऐसे वक्त में यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमिर ज़ेलेंस्की ने नवरोकी के रुख पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि यूक्रेन नाटो का हिस्सा नहीं बनता, तो रूस पोलैंड की सीमाओं तक पहुंच सकता है. हालांकि यूक्रेन को आंशिक राहत की बात यह है कि नवरोकी का रुख रूस के प्रति भी नरम नहीं है.