Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के बाद डिफेंस सेक्टर को मेक इन इंडिया के तहत मेड इन राजस्थान को प्रोत्साहित करने की महत्वपूर्ण शुरूआत जोधपुर से होने वाली है। उत्तर प्रदेश में जहां ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण गति पकड़ेगा तो हमारे प्रदेश में राइजिंग राजस्थान के तहत डिफेंस सेक्टर के लिए पहला कदम उठाया गया है। 1500 करोड़ से ज्यादा के एमओयू को धरातल पर उतारने के लिए डिफेंस अनुमति मिली है और इसकी टेस्टिंग भी सफल हुई है।

शहरों में बनेंगे पार्ट

जोधपुर, जयपुर सहित अलग-अलग क्षेत्रों में गन के पार्ट बनेंगे। इसके बाद जोधपुर के बोरानाड़ा औद्योगिक क्षेत्र में बनी फैक्ट्री में इसका बैरल बनेगा। प्रदेश में किसी एक स्थान पर इसको एसेम्बल किया जाएगा, जिसका निर्णय सुरक्षा कारणों से गुप्त रखा गया है।

बारूद भंडार की चुनौती

इन मशीन गन के साथ बुलेट बनाने के लिए बारूद भंडारण के कई कड़े नियम हैं। इनमें जिस स्थान पर बारूद भंडार होगा, वहां आस-पास की रेडियस में 8 से 10 किमी तक आबादी नहीं होनी चाहिए। अब सरकार से इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में ऐसी जमीन की डिमांड की गई है।

इनका होगा निर्माण

मिलिट्री ग्रेड स्नाइपर राइफल
लंबी दूरी की उच्च-सटीकता वाली स्नाइपर राइफल तैयार की जाएगी। लंबी दूरी पर सब-एमओए सटीकता प्राप्त करने में यह राइफल सक्षम है। कुछ परिस्थितियों में 2.4 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है। विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में सुसंगत प्रदर्शन कर रही है। यह 100 प्रतिशत मेड इन इंडिया प्रोडक्ट होगा।

मल्टी-बैरल मशीन गन
6,000 राउंड प्रति मिनट की दर से फायरिंग करने में सक्षम यह गन भी अब जोधपुर व राजस्थान में बन सकेगी। 1,000 यार्ड तक सटीक मार कर सकती है और 15,000 राउंड एक बेल्ट फीड में फायर करती है। भविष्य में इसे सी-आरएएम यानि एंटी-एयरक्राफ्ट वेपन सिस्टम के रूप में अपग्रेड किया जाएगा। यह मेक इन इंडिया के तहत निर्मित हो रही है।

भारतीय डिफेंस सिस्टम के साथ एक्सपोर्ट भी संभव

डिफेंस स्टार्टअप करने वाले रविन्द्र सिंह राठौड़ बताते हैं कि पिछले कई समय से इसकी टेस्टिंग विदेशों में हो रही है और सकारात्मक परिणाम आए हैं। दो स्तर की अनुमतियां भारत सरकार से मिल चुकी हैं। भारतीय डिफेंस सिस्टम के साथ यह एक्सपोर्ट भी हो सकेगी। इसमें टोगो और थाईलैंड जैसे देशों ने फिलहाल रुचि दिखाई है।