रांची: झारखंड को मत्स्य पालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की सोच के साथ राज्य की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने प्रगतिशील मत्स्य कृषकों के साथ संवाद किया। रांची के धुर्वा स्थित मत्स्य अनुसंधान केंद्र में मंगलवार को आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान मत्स्य पालन से जुड़े किसानों ने सुझाव दिए।

किसानों ने दिए सुझाव
मत्स्य पालन से जुड़े किसानों ने राज्य में मत्स्य बीज की कमी से लेकर मछली के चारा तक का सुझाव रखा। मंत्री ने मत्स्य पालकों के सुझाव को बेहतर और दूरगामी बताते हुए विभाग की कार्ययोजना में जोड़ने का आश्वासन दिया है।

कहा कि झारखंड में यदि सबसे ज्यादा किसी क्षेत्र में ग्रोथ दिख रहा है तो वो मत्स्य पालन में है। राज्य में मत्स्य पालन में 40 प्रतिशत तक का ग्रोथ नजर आती है। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए नीति निर्धारण करना चाहती है।

पीपीपी मोड पर काम करने की विचार
इस दिशा में मत्स्य पालन से जुड़े छोटे-बड़े किसानों के सुझाव महत्वपूर्ण है। राज्य में 80 फिश फार्म का सफल संचालन के लिए विभाग पीपीपी मोड पर भी काम करने पर विचार कर रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य के करीब 1.70 हजार मत्स्य कृषकों का बीमा कराया गया है, लेकिन जब मुआवजा दावे की बात आती है तो इसका प्रतिशत न के बराबर है। मत्स्य पालकों को सरकार द्वारा दी जा रही बीमा सुविधा को लेकर जागरूक रहने की जरूरत है।

मत्स्य कृषकों के साथ संवाद कार्यक्रम में विशेष सचिव प्रदीप हजारी, मत्स्य निदेशक डॉ. एचएन द्विवेदी के साथ 10 जिलों के जिला मत्स्य पदाधिकारी, राज्य के कई जिलों से 50 प्रगतिशील किसान शामिल हुए।

मत्स्य पालकों ने सरकार को इस दिशा में आवंटन बढ़ाने और राज्य के अंदर फीड की समुचित व्यवस्था करने की बात कही। किसानों ने इससे पूर्व राज्य में बतख पालन व झींगा पालन के यूनिट में बढ़ोतरी, तालाबों का जीर्णोद्धार के साथ मत्स्य प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना करने का भी सुझाव दिया।