बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इस बार के चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा छाया रहेगा और ऑपरेशन सिंदूर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुख्य चुनावी मुद्दा होगा. वो आपरेशन सिंदूर की सफलता को लेकर बिहार के वोटरों के बीच जाएगी. पार्टी वोटरों को बताएगी कि कैसे पीएम मोदी के मजबूत नेतृत्व में भारतीय सेनाओं ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए ना सिर्फ पीओके बल्कि पाकिस्तान के अंदर भी आतंकियों के हेडक्वार्टर और ट्रेनिंग कैंप को मिट्टी में मिला दिया.

पहलगाम हमले के बाद 24 अप्रैल को बिहार की धरती से ही पीएम मोदी ने हमले के दोषियों को उनकी कल्पना से परे सजा देने का ऐलान किया था. ऐसे में बीजेपी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को लेकर अलग-अलग कार्यक्रम और अभियान के जरिए जनता के बीच जाएगी.

पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए सेना ने ऑपरेशन सिंदूर का आगाज किया था. 6-7 मई की रात को पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकाने पर सेना ने हमला किया था, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे. इस एक्शन के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमले की कोशिश, लेकिन उसके प्रयास असफल रहे.

जवाब में भारत ने पाकिस्तान पर ताबड़तोड़ हमले किए, जिसमें उसके कई एयरबेस तबाह हो गए. भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान कांप गया. वो खौफ में आ गया था और शांति के लिए अमेरिका से मदद मांगी. अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान ने भारत से बात की और हिंदुस्तान अपनी शर्तों के साथ सीजफायर के लिए तैयार हुआ.

इन मुद्दों पर भी बीजेपी मांगेगी वोट
इसके साथ ही बीजेपी सामाजिक न्याय के मुद्दे पर भी बिहार की जनता से वोट मांगेगी. वो मोदी सरकार के जाति गणना कराने के ऐलान को सामाजिक न्याय और सामाजिक समानता के हक का बताते हुए वोटरों के बीच जाएगी. पार्टी का मानना है कि जाति जनगणना कराने के ऐलान से बिहार में आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन के हाथ से ये मुद्दा निकल गया है.

जाति जनगणना पर विपक्षी दलों के दोहरे रवैए को बताने के लिए पार्टी राज्य भर में एनडीए नेताओं की जाति-आधारित बैठकें भी कराने का प्लान बनाया है. इन बैठकों में एनडीए नेताओं को बताया जाएगा कि कांग्रेस या उसके सहयोगी दलों की सरकारों ने जाति जनगणना के नाम पर अब तक राजनीति की है जबकि बीजेपी/एनडीए सरकार ने इस पर फैसला लिया है. फिर ये नेता अपने अपने जाति के वोटरों के बीच जाकर ये संदेश देंगे.

बिहार में एनडीए के दल इस बार एससी, ईबीसी, ओबीसी और महादलित समुदाय से ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव में उतारने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं. इसके लिए 243 विधानसभा सीटों की जातिवार मैपिंग भी की जा रही है.