राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के दिग्गज नेता और तीन बार के विधायक व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या का मामला 26 साल बाद एक बार फिर से सुर्खियों में है. इसी के साथ पूर्व विधायक और बाहुबली मुन्ना शुक्ला भी चर्चा में आ गए हैं. मुन्ना शुक्ला बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में शामिल रहे थे और इसी मामले में उन्हें पटना हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2024 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुन्ना शुक्ला सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को यथावत रखते हुए मुन्ना शुक्ला को 15 दिन के अंदर सरेंडर करने को कहा है.

बृजबिहारी प्रसाद और मुन्ना शुक्ला कोई साधारण नाम नहीं है. बिहार में राजनीति के अपराधीकरण या कहें बिहार में अपराध के राजनीतिकरण में इन दोनों का बहुत बड़ा योगदान है. यही वजह है कि बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बेहद खास मंत्री बृजबिहारी को साल 1998 में पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में गोली मार दी गई. यह वारदात उत्तर प्रदेश के ‘डॉन’ श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने साथियों के साथ मिलकर कड़ी सुरक्षा के बावजूद अंजाम दिया था. इस घटना को ठीक से समझने के लिए आइए, शुरू से शुरू करते हैं.

छोटन शुक्ला को राखी बांधती थी रमा प्रसाद
1970 का दशक था. उन दिनों वैशाली से पटना तक लालगंज से बाहुबली छोटन शुक्ला की तूंती बोलती थी. उन दिनों बिहार में जातीय संघर्ष चरम पर था. छोटन शुक्ला ने इलाके के दबंगों की नकेल कसने के लिए मोतीहारी के आरजेडी नेता बृजबिहारी प्रसाद से संपर्क साधा. कहा जाता है कि दोनों में ऐसी दोस्ती हुई कि दोनों एक ही थाली में खाते थे. यहां तक कि बृजबिहारी की पत्नी रमा प्रसाद छोटन को राखी तक बांधने लगी. इसके चलते कुछ ही दिनों में बिहार की राजनीति से लेकर अपराध तक में छोटन शुक्ला का बड़ा नाम हो गया. ऐसे में छोटन ने धीरे-धीरे बृजबिहारी की छत्रछाया को उतारना शुरू कर दिया.

श्रीप्रकाश शुक्ला से कराई बृजबिहारी की हत्या
छोटन अब राजनीति में अपना करियर तलाश रहे थे. इसके चलते बृजबिहारी प्रसाद के ही साथ उनका टकराव होने लगा. कहा जाता है कि इसी टकराव की वजह से बृजबिहारी ने 1994 में छोटन शुक्ला को मरवा दिया. इसके बाद छोटन की विरासत को भाई भुटकुन ने बढ़ाया, लेकिन अगले ही साल वह भी मारे गए. भुटकन को उनके ही सुरक्षा गार्ड ने गोली मारी गई थी. आखिर में सबसे छोटे मुन्ना शुक्ला ने जनेऊ हाथ में लेकर बृजबिहारी के सर्वनाश की शपथ ली और अपराध वाली राजनीति में उतर पड़े. चूंकि इतने समय तक बृजबिहारी अपनी ताकत काफी बढ़ा चुके थे और मुन्ना शुक्ला के लिए बृजबिहारी तक पहुंचना आसान नहीं था. ऐसे में मुन्ना शुक्ला ने श्रीप्रकाश शुक्ला से हाथ मिलाया और साल 1998 में बृजबिहारी प्रसाद की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई.

सीएम निवास तक बृजबिहारी हत्याकांड की दहशत
इस वारदात की दहशत पूरे बिहार में देखी गई. आलम यह था कि हत्या की खबर सुनते ही मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पूर्व सीएम लालू यादव ने अपने आसपास सुरक्षा घेरा कड़ा कर लिया. यही नहीं, बृजबिहारी प्रसाद के परिवार ने सबकुछ जानकर भी पुलिस में एफआईआर नहीं दर्ज कराई. इस वारदात में श्रीप्रकाश शुक्ला और मुन्ना शुक्ला के अलावा राजन तिवारी और सूरजभान का भी नाम आया था. 1998 में ही श्रीप्रकाश पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. वहीं 2009 में पटना की अदालत ने बाकी बचे आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मुन्ना शुक्ला का नाम 1994 में हुई डीएम जी कृष्णैया की हत्या में आया था. हालांकि इस मामले में मुन्ना शुक्ला तो सबूतों के अभाव में बरी हो गए, जबकि बाहुबली विधायक आनंद मोहन को सजा हो गई. वह हाल ही में जेल से सजा काटकर बाहर आए हैं.

अब राजद में हैं मुन्ना शुक्ला
मुन्ना शुक्ला की राजनीति ही राजद की जातिवादी राजनीति के खिलाफ शुरू हुई. करीब चार दशक तक वह राजद के निशाने पर रहे. राजनीति में कब दोस्त दुश्मन बन जाए और कब दुश्मनी दोस्ती में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. पिछले कुछ दिनों से मुन्ना शुक्ला राजद के साथ गलबहियां करते नजर आ रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मुन्ना शुक्ला की पत्नी राजद के टिकट पर वैशाली से चुनाव भी लड़ी थी, लेकिन हार गई. अब वह एक बार फिर राजद के ही टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुन्ना शुक्ला भले ही जेल चले जाएंगे, लेकिन उनकी राजनीति जारी रहेगी.