भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर काफी चर्चा में रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार के समर्थन में बयान दिए। इतना ही नहीं, उन्होंने पहले सरकार की तारीफ भी की, जिसके बाद सवाल उठने लगे कि थरूर इतना नरम रवैया क्यों अपना रहे हैं। इस बीच सरकार ने आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है और पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया भर में भेजे जाने वाले सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के लिए कांग्रेस सांसदों के नाम मांगे हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा विदेश जाने वाले सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से शशि थरूर को बाहर रखने की वकालत कर रहा है। वहीं, पार्टी सूत्रों के मुताबिक सरकार ने थरूर को भेजने की पेशकश की है, जिस पर कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस सदस्यों को चुनना उसका फैसला है, जिसे पार्टी नेतृत्व तय करेगा। 

क्या थरूर को न लेने से गलत संदेश जाएगा?

हालांकि पार्टी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि थरूर अंतरराष्ट्रीय मामलों के अच्छे जानकार हैं, चेहरा हैं और यूएन में भी काम कर चुके हैं, इसे देखते हुए उन्हें न भेजने का फैसला गलत संदेश देगा, ऐसे में पार्टी नेतृत्व जल्द ही रणनीतिकारों से चर्चा कर तय करेगा कि थरूर का नाम कांग्रेस सांसदों की सूची में रहेगा या नहीं।

दरअसल, हाल ही में मोदी सरकार के समर्थन में थरूर के लगातार बयानों से पार्टी हाईकमान और कई नेता नाखुश हैं, खासकर पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान उन्होंने पार्टी लाइन से अलग बयान दिया था, जिस पर पार्टी के अंदर काफी विवाद हुआ है।

थरूर ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया 

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अमेरिका की भूमिका पर शशि थरूर ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गलत तरीके से भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू पर तौलने की कोशिश की है, यह हैरान करने वाला है। पाकिस्तान आतंकवाद को पालने वाला देश है, जबकि भारत आतंकी घटनाओं से ग्रसित है। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। भारत ने सिर्फ़ पहचाने गए आतंकी ठिकानों और लॉन्च पैड्स को नष्ट किया है। उसने अमेरिका को मध्यस्थता करने की इजाज़त नहीं दी। भारत के हमलों के बाद बातचीत की पहल पाकिस्तान ने ही की थी।