
बिलासपुर छत्तीसगढ़ । चेहते अफसर को सीई की कुर्सी पर बैठाने के लिए जल संसाधन विभाग के आला अफसरों ने नियमों ओर मापदंडों का जमकर उल्लंघन किया। मामला जब हाई कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने जब अफसरों को फटकार लगाई तब सिस्टम को सुधारते हुए जल संसाधन विभाग बिलासपुर में सीई की कुर्सी पर जेआर भगत को बैठाया। पूरा मामला वरिष्ठता को दरकिनार कर कनिष्ठ अधिकारी को पदभार सौंपना और नियमित सीई होने के बाद भी इंचार्ज सीई को पदभार का आदेश जारी करने का है। जल संसाधन विभाग में विवाद की शुरुआत कार्यपालन अभियंता से अधीक्षण अभियंता के प्रमोशन के बाद प्रारंभ हुआ। प्रमोशन के बाद एसई की लिस्ट में अरुण साय फर्स्ट और सतीश कुमार टेकाम सीनियारिटी में 15 वें नंबर पर हैं। विभाग ने साय की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए टेकाम को रायपुर जल संसाधन विभाग में सीई बना दिया। इसे लेकर अरुण साय ने आपत्ति जताई और कहा कि ग्रेडेशन लिस्ट में उनका नाम प्रथम स्थान पर है। उसे प्राथमिकता देने के बजाय जूनियर टेकाम को सीई बना दिया है। आपत्ति का निराकरण ना होने पर साय ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी।
जल संसाधन विभाग के इस निर्णय को चुनौती देते हुए सीई जेआर भगत ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने विभाग के दोनों निर्णय जिसमें अरुण साय को बिलासपुर का सीई बनाने और याचिकाकर्ता जेआर भगत के डेपुटेशन को सही ठहराते हुए भगत की याचिका को खारिज कर दिया। सिंगल बेंच के फैसले को भगत ने चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में याचिका दायर की। इसी बीच 30 अप्रैल को सीई अरुण साय रिटायर हो गए। साय के रिटायर होने के बाद विभाग ने आरआर सारथी को इंचार्ज सीई बना दिया। याचिकाकर्ता भगत ने कोर्ट से शिकायत की कि रेगुलर अफसर के रहते विभाग ने जूनियर को इंचार्ज सीई बना दिया है।
मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि जब मामला कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है तो फिर आदेश की अवमानना क्यों की गई। कोर्ट ने कार्रवाई की हिदायत तब आला अफसर हरकत में आए और रेगुलर सीई की नियुक्ति के संबंध में आदेश जारी किया।