इंचियोन : अपनी नियमित पिस्टल के बिना चुनौती पेश कर रही श्वेता चौधरी ने आज यहां महिला 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक के साथ भारत को 17वें एशियाई खेलों का पहला पदक दिलाया।

फरीदाबाद की निशानेबाज श्वेता ने शूट आफ में चीन की विरेधी को पछाड़कर कुल 176.4 के स्केार के साथ ओंगनियोन शूटिंग रेंज में कांस्य पदक पक्का किया। चीन की झांग मेंगयुआन ने 202.2 अंक के साथ स्वर्ण पदक जबकि मेजबान दक्षिण कोरिया की जुंग जी हेई ने 201.3 अंक के साथ रजत पदक जीता।

श्वेता ने क्वालीफाइंग में 383 अंक के साथ आठ खिलाड़ियों के फाइनल में जगह बनाई। उनकी टीम की अधिक अनुभवी साथी हीना सिद्धू (378) फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रही। श्वेता फाइनल में पहले आठ शॉट के बाद तीसरे स्थान पर चल रही थी। इससे पहले वह छठे स्थान पर खिसक गई थी लेकिन वापसी करने में सफल रही। स्पर्धा में जब अंतिम चार निशानेबाज बचे थे जब इस भारतीय निशानेबाज ने 8.4 का खराब स्कोर बनाया जिससे उन्हें चीन की गुओ वेनजुन के साथ शूट ऑफ खेलना पड़ा।

चार निशानेबाजों के शॉट से पहले श्वेता के 138.3 जबकि गुओ के 137.9 अंक थे लेकिन इसके बाद भारतीय निशानेबाज नर्वस हो गई और 8.4 अंक ही जुटा पाई। शूट ऑफ में हालांकि श्वेता ने 10.7 अंक के साथ चीन की निशानेबाज को पछाड़ दिया को 10 अंक की जुटा सकी। इसके साथ ही ओएनजीसी की इस निशानेबाज का कम से कम कांस्य पदक पक्का हो गया।

अंतिम तीन निशानेबाजों के बीच पहले शॉट में श्वेता ने 8.6 अंक जुटाए जिससे उनकी स्वर्ण पदक के लिए खेलने की उम्मीदों को झटका लगा। उन्होंने अंतिम शाट में 10.5 अंक बनाए लेकिन झांग और जुंग को स्वर्ण पदक के लिए खेलने से नहीं रोक पाई। श्वेता ने 20 शॉट के फाइनल में बाहर होने से पहले 18 शॉट मारे जिसमें उन्होंने 10.8, 10.7, 9.3, 10.2, 10, 9.8, 9.3, 7.7, 9.7, 10.3, 10.1, 9.8, 10.7, 9.9, 10.6, 8.4, 8.6 और 10.5 अंक जुटाए।

देश को मौजूदा एशियाई खेलों का पहला पदक जीतने के बाद खुश श्वेता ने कहा, मुझे खुशी है कि मैंने भारत को पहला पदक दिलाया। यह कांस्य पदक है लेकिन पदक तो पदक है। यह अब तक का मेरा सबसे बड़ा पदक है। मैं शुरुआत में पहले या दूसरे स्थान के बारे में सोच रही थी लेकिन बीच में राह से भटक गई। 8.4 का शॉट बेकार था (शूट ऑफ से पहले)।

श्वेता ने बाद में कहा कि उन्हें अपनी नियमित पिस्टल के बिना इस स्पर्धा में हिस्सा लेना पड़ा क्योंकि उनकी पिस्टल तीन दिन से कोरिया के सीमा शुल्क अधिकारियों के पास थी। उन्होंने बताया कि उनकी पिस्टल का जो नंबर भारत से भेजा गया वह मिलाने पर पिस्टल पर लिखे अंक से नहीं मिला। वह हालांकि इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहती और उन्होंने कहा कि निशानेबाज अपनी पिस्टल बदलते रहते हैं। उन्होंने कहा, मेरी पिस्टल पिछले तीन दिन से यहां सीमा शुल्क अधिकारियों के पास थी। मैंने हाल में अपनी पिस्टल बदली थी और सीरियल नंबर को लेकर कोई समस्या थी। मुझे इस मामले से निपटने में परेशानी हुई।

श्वेता ने कहा, कोरिया के सीमा शुल्क अधिकारियों से तीन दिन तक बात करने के बाद मेरी पिस्टल आज सुबह आठ बजे मुझे सौंपी गई लेकिन मेरी स्पर्धा भी लगभग उसी समय शुरू हुई इसलिए मैं इसका इस्तेमाल नहीं कर पाई। मैंने अतिरिक्त पिस्टल के साथ हिस्सा लेने का फैसला किया। दोनों एक ही कंपनी की थी लेकिन मैं नयी पिस्टल के साथ खेलना चाहती थी। वैसे मुझे खुशी है कि मैं इसके साथ कांस्य पदक जीतने में सफल रही। श्वेता ने इसके साथ ही ‘जेट लेग’ की भी शिकायत दी क्योंकि वह 12 सितंबर को विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने के बाद सीधा स्पेन से यहां पहुंची हैं। इस निशानेबाज ने साथ ही कहा कि यहां मिले पदक से उन्हें 2016 रियो ओलंपिक से पहले आत्मविश्वास मिलेगा। श्वेता ने अभी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं किया है।

उन्होंने कहा, यह कांस्य पदक मेरे लिए बड़ी प्रेरणा है। अगला साल काफी अहम है क्योंकि विश्व कप होने हैं और रियो ओलंपिक के लिए कई कोटा स्थान दांव पर लगे होंगे। मेरा लक्ष्य ओलंपिक में जगह बनाना है। मैं इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही हूं। श्वेता ने साथ ही कहा कि उन्होंने अपनी निशानेबाजी बांह में चोट के कारण भी परेशानी हुई और अब उनकी नजरें 2016 रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर टिकी है।

उन्होंने कहा, मेरी निशानेबाजी बांह के कंधे में चोट थी। यह चोट निशानेबाजी के कारण ही लगी। चोट के कारण मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाई। श्वेता ने कांस्य पदक जीता लेकिन उनकी, हीना (378) और 16 वर्षीय मलाइका गोयल (373) की तिकड़ी टीम स्पर्धा में पदक नहीं जीत पाई। भारतीय टीम 1134 अंक के साथ 14 देशों में पांचवें स्थान पर रही। चीन ने 1146 अंक के साथ स्वर्ण पदक जीता। चीनी ताइपे (1141) को रजत जबकि मंगोलिया (1140) को कांस्य पदक मिला। मेजबान कोरिया चौथे स्थान रहा।