नई दिल्ली : लंबी चर्चा के बाद राज्यसभा ने जुवेनाइल जस्टिस बिल को पारित कर दिया है। अब इस विधेयक के अनुसार 16 साल से ज्यादा उम्र का अपराधी बालिग माना जाएगा। इस विधेयक को लोकसभा पहले ही पारित ही कर चुकी है।


लोकसभा में यह विधेयक 7 मई 2015 को पारित हो चुका है।

राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पर लंबी बहस चली। चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नाबालिग की उम्र को लेकर एक राय नहीं है लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि अपराधी नाबालिगों का गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

आजाद ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को और

अधिकार देने चाहिए। उन्होंने जेलों में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि जेलों में अपराधियों को शिक्षित करने का भी एक सिस्टम होना चाहिए। दूसरी तरफ महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि यह बोर्ड तय करेगा कि अपराध के वक्त नाबालिग की मानसिकता बालपन की थी या फिर वयस्क की।

पश्चिम बंगाल से से तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि मैं उस समय क्या करता अगर 16 दिसंबर की घटना मेरी 20 साल की बेटी के साथ हुई होती? क्या मैं सबसे अच्छे वकील को हायर करता और क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की मदद लेता या फिर एक बंदूक खरीदता और अपराधी को बस गोली मार देता। बिल के लिए अनिश्चितकाल के लिए इंतजार नहीं कर सकते। मैं बिल का समर्थन करता हूं।

राज्यसभा में आज महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी द्वारा रखे गए किशोर न्याय विधेयक पर चर्चा के समय निर्भया के माता पिता उच्च सदन की दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। उच्च सदन की दर्शक दीर्घा में कांग्रेस नेता शोभा ओझा और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख बरखा सिंह ने भी उपस्थित थीं। इस विधेयक पर चर्चा के दौराना दर्शक दीर्घा खचाखच भरी थी।

निर्भया के माता पिता अपनी बेटी के साथ 16 दिसंबर 2012 को हुई बर्बर घटना के नाबालिग दोषी की रिहाई से काफी नाराज हैं और वे संबंधित कानून में संशोधन चाहते हैं जिससे कि जघन्य और बर्बर अपराध करने वाले किशोरों को भी सज़ा दी जा सके। इस विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा शुरू होने से पहले निर्भया के माता पिता ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी मुलाकात की।