नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के लोगों के साथ मुलाकात को लेकर पाकिस्तान के साथ बातचीत निलंबित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत ने वार्ता की बहाली के लिए मुश्किल आयाम तय कर दिया है।

राज्य विधानसभा में पाकिस्तान के साथ वार्ता की बहाली की मांग करते हुए पारित प्रस्ताव सहित कई मुद्दों पर बातचीत करते हुए उमर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ वार्ता का निलंबित होना जम्मू-कश्मीर के लिए ‘हौसला पस्त करने वाला’ है।

आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के ‘मिशन 44’ पर कटाक्ष करते हुए उमर ने कहा कि यह ‘लव जेहाद’ की तरह हिंदी सिनेमा का एक सुंदर संवाद है। उन्होंने एक समाचार चैनल पर प्रसारित होने वाले करण थापर के कार्यक्रम ‘नथिंग बट ट्रुथ’ में कहा, ‘भाजपा अलगाववादियों के साथ नजदीकी बढ़ाने का प्रयास कर रही है ताकि वे कुछ सीटों पर चुनाव के बहिष्कार के आह्वान का फायदा उठा सके और बुनियादी तौर पर ये सीटें अपने खाते में डाल सके। परंतु 44 की संख्या दूर की कौड़ी है।’

पाकिस्तान के साथ बातचीत के रद्द होने पर उमर ने कहा, ‘यह मुख्य रूप से लोगों को हतोत्साहित करने वाला है क्योंकि आखिरकार हमें तो बातचीत से समाधान निकलते देखना है। यहां 25 वर्षों से हिंसा रही है, युद्ध हुए हैं, संघर्ष हुए लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।’

उमर ने कहा, ‘हम समाधान के सबसे करीब संवाद के जरिए ही पहुंचे। सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी और मुशर्रफ के साथ तथा फिर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं मुशर्रफ और नवाज शरीफ एवं सिंह के साथ। हम उम्मीद कर रहे थे कि यह प्रक्रिया जारी रहेगी।’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राज्य के लोगों की उम्मीदों को बढ़ा दिया था जिसे बातचीत की नाकामी से धक्का लगा है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आप एक बार एक दूसरे को शॉल, साड़ी और आम भेज रहे हैं। आप पंजाबी ‘झप्पियां पप्पियां’ कर रहे हैं। इन सबका क्या हुआ है? आपने हमारी उम्मीदों और अकांक्षाओं को बढ़ा दिया था कि यह प्रक्रिया आगे बढ़ने वाली है और अब सिर्फ एक चाय पर मुलाकात को लेकर आपने इसे खत्म कर दिया।’ सरकार ने बीते 25 अगस्त को इस्लामाबाद में होने वाली विदेश सचिव स्तर की बातचीत को रद्द कर दिया था क्योंकि पाकिस्तान ने हुर्रियत के नेताओं से नहीं मिलने के भारत के आग्रह को मानने से इंकार कर दिया था।

यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान कश्मीर पर चर्चा के लिए हुर्रियत को आमंत्रित करके भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है तो उमर ने कहा, ‘देखिए, पाकिस्तान ने भारत के आंतरिक मामले में कितने लंबे समय से दखल दिया है। इसी बिंदु को मैं रखता हूं। अतीत में पाकिस्तान के साथ वार्ता को निलंबित करके, क्या आपने पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने से रोक दिया।’ उन्होंने कहा, ‘भारत की संसद पर हमले के बाद क्या आपने पाकिस्तान के साथ बातचीत करना बंद नही किया था। मैं राजग सरकार में मंत्री था जब हमने 20 लोगों की सूची तैयार की और कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करने से पहले इन लोगों को सौंपने की जरूरत है। इन 20 लोगों में से कितने आए।’

उमर ने कहा, ‘हमने 26 नवंबर, 2008 के मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बातचीत रोक दी थी, हमने कहा था कि इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के जद में लाने तक हम आपके साथ बातचीत नहीं करेंगे। क्या हुआ? अजमल कसाब को फांसी देने की सिवाय हम किसे न्याय के जद में ला पाए।.. उन्होंने कहा कि किसी न किसी दिन भारत और पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर आना होगा। उमर ने कहा कि पाकिस्तान को हुर्रियत के साथ बातचीत नहीं करने के लिए कहकर वस्तुत: इस्लामाबाद के लिए बातचीत से पहले शर्त रखी गई।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘फिलहाल मैं बातचीत को बहाल होता नहीं देखता क्योंकि आप पाकिस्तान से यह कह रहे हैं कि बातचीत के जरिए कुछ निकलने से पहले ही पाकिस्तान कश्मीर पर अपनी पूरी विदेश नीति का समर्पण कर दे।’ उन्होंने कहा, ‘आपने एक आयाम तय किया या आपने एक मानदंड तय किया है जिसके बारे में मेरा मानना है कि इसे हासिल करना मुश्किल है।’ उमर ने इस धारणा को मानने से इंकार कर दिया कि पाकिस्तान हुर्रियत को कश्मीर अवाम का प्रतिनिधि मानता है जिसका मतलब यह हुआ कि उनका और राज्य की दूसरी मुख्यधारा की पार्टियों को खारिज किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘मेरा अधिकार पाकिस्तान से नहीं आता। मैं इतना असुरक्षित नहीं हूं कि मुझे पाकिस्तान से प्रामाणिकता के प्रमाणपत्र की जरूरत पड़े। मेरा प्रमाणपत्र जम्मू-कश्मीर की अवाम से आता है जिन्होंने चुनाव में हिस्सा लिया। समस्या यह है कि आप जैसे लोग यह चाहते है कि मुझे पाकिस्तान की तरफ से मान्यता या प्रमाणपत्र मिले। मुझे ऐसे प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।’