देश में जल्द डिजिटल बैंक अस्तित्व में सकते हैं। इसके लिए सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने प्रस्ताव किया है। पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर ये डिजिटल बैंक फिजिकल ब्रांचों की जरूरत को खत्म करेंगे। आयोग ने डिजिटल बैंक्स: प्रपोजल फॉर लाइसेंसिंग एंड रेगुलेटरी रिजीम फॉर इंडिया शीर्षक का एक डिस्कशन पेपर जारी किया है।

इस पेपर में कहा गया है कि डिजिटल बैंक बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 (बी आर एक्ट) में परिभाषित किए गए बैंक हैं। दूसरे शब्दों में ये इकाइयां डिपॉजिट जारी, लोन देने समेत वो सारी सेवाएं देने में सक्षम होंगी, जिनके लिए बी आर एक्ट उन्हें सशक्त करता है। पेपर में कहा गया है कि आरबीआई को बैंकिंग कंपनी को लाइसेंस देने का अधिकार सीधे बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत प्राप्त है। वहीं डिजिटल बिजनेस बैंकों के लिए लाइसेंसिंग की व्यवस्था बनाने के लिए एक अतिरिक्त कदम लेने की जरूरत है।

नीति आयोग की ओर से कहा गया है कि भारत का पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर खासतौर पर यूपीआई ने दिखाया है कि पहले से स्थापित चीजों को किस तरह से चुनौती दी जाती है। गौरतलब है कि यूपीआई ट्रांजैक्शन ने कीमत के मामले में 4 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार किया है, जबकि आधार प्रमाणीकरण का आंकड़ा 55 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है।