नई दिल्ली ।  राजस्थान की कांग्रेस सरकार में जल्द ही कैबिनेट विस्तार हो सकता है। इस बीच आज राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे हैं। इस बार कैबिनेट विस्तार सियासी गणित, गठजोड़ और ताकत दिखाने का अखाड़ा बन सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के तल्ख रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। राजस्थान में कैबिनेट विस्तार के साथ विवाद की आशंका जताई जा रही है। जानकारी मिल रही है कि राजस्थान में कल ही यानी 12 नवंबर को कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। कैबिनेट विस्तार एक बार फिर तकरार की जमीन बन रहा है। पायलट की चाहत मुख्यमंत्री बनने की है और गहलोत की कुर्सी से नहीं हटने की। इसी वजह से कैबिनेट विस्तार सियासी गणित, गठजोड़ और ताकत दिखाने का अखाड़ा बन सकता है। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट दिल्ली में आलाकमान से मिले। इस दौरान सीएम गहलोत ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल और अजय माकन से मुलाकात की। हालांकि इस दौरान राहुल गांधी मौजूद नहीं थे, वहीं गहलोत से पहले सचिन पायलट भी केसी वेणुगोपाल और अजय माकन से मिले। सूत्रों की मानें तो गहलोत की ताकत बढ़ सकती है और पायलट के हाथ फिर मायूसी लग सकती है। दिसंबर में राजस्थान की गहलोत सरकार को तीन साल पूरे होने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान जल्द से जल्द विस्तार चाहता है और क्योंकि राजस्थान उपचुनाव में नतीजे से हाईकमान खुश है इसलिए गहलोत को फ्री हैंड भी मिल सकता है। हालांकि, गहलोत और पायलट गुट के कई विधायक मंत्री बनने की चाहत रखते हैं, लेकिन सभी का नंबर आना मुश्किल है। ऐसे में विवाद से बचने का फॉर्मूला कांग्रेस बना चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, जिनको मंत्री नहीं बनाया जा सकेगा उन्हें बोर्ड, निगमों और स्वायत्त संस्थाओं में पद दिया जा सकता है। दूसरी तरफ, पायलट ने आलाकमान से पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर काम करने वालों को मौका देने की मांग रखी।