बिहार | में छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान्न सोमवार से शुरू हो गया है। पहले दिन व्रतियों ने गंगा समेत अन्य नदियों और जलाशयों में स्नान करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया। इसे नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है। छठ को लेकर पटना सहित गंगा किनारे के सभी शहरों में प्रशासन की ओर से व्यापक इंतजाम किए गए हैं। औरंगाबाद के देव में भी छठ को लेकर प्रशासन सजग दिख रहा है। अधिक भीड़ वाले स्थलों पर पुलिस के साथ ही मेडिकल टीम, मजिस्ट्रेट, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को तैनात किया गया है।
गंगा घाटों पर स्पीड बोट और वाटर एंबुलेंस को भी तैनात किया जा रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ही कई घाटों का जायजा लेकर जरूरी निर्देश दिए थे। प्रमंडलीय आयुक्त संजय अग्रवाल और डीएम डा. चंद्रशेखर लगातार घाटों का जायजा ले रहे हैं।पटना के कलेक्ट्रेट घाट पर इस बार छठ पूजा होने की संभावना नहीं बन पा रही है। प्रशासन की काफी कोशिशों के बाद भी इस घाट तक जाने के लिए रास्ता नहीं बन सका है। गंगा का जलस्तर अधिक रहने और पानी के कुछ ही दिन पीछे हटने के कारण इस घाट तक जाने वाले रास्ते में दलदल जैसी स्थिति हो गई है। प्रशासन ने यहां जाने के लिए वैकल्पिक इंतजाम करने की कोशिश की, लेकिन यह कामयाब नहीं हो सकी।बिहार सरकार ने छठ से जुड़े इंतजामों के लिए अलग से राशि सभी नगर निकायों को आवंटित की है। केवल पटना और आसपास के इलाकों में ही छठ पर सरकार की ओर से करीब ढाई करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके साथ ही सभी नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत को फंड उपलब्ध कराया गया है।गंगा घाटों पर नहाय-खाय के लिए व्रतियों की भीड़ देखने को मिली। ऐसा नजारा गंगा घाट पर दो साल के बाद दिख रहा है। पिछले साल कोविड की सख्त गाइडलाइन के कारण घाटों पर ऐसी रौनक नहीं थी। पटना में छठ के लिए सबसे अधिक स्पेस दीघा घाट के पास उपलब्ध है।