
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ने के साथ-साथ नए-नए राजनीतिक समीकरण उभरने लगे हैं। नए-नए गठजोड़ों की संभावनाएं पैदा हो गई हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के बीच लखनऊ एयरपोर्ट पर हुई मुलाकात के बाद से कांग्रेस और रालोद के बीच गठबंधन की चर्चा शुरू हो गई है। इन चर्चाओं ने अखिलेश को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और समाजवादी पार्टी (सपा) अब तक गठबंधन में चुनाव लड़ते रहे हैं।
सपा और राष्ट्रीय लोकदल आरएलडी ने पिछली बार गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा था, इस बार भी वे गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे, लेकिन सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर उनके बीच अब तक सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में प्रियंका-जयंत की मुलाकात के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यूपी में गठबंधन का पुराना समीकरण बदलेगा?
प्रियंका गांधी रविवार को गोरखपुर से जनसभा करके लखनऊ से दिल्ली के लिए लौट रही थी, जबकि जयंत चौधरी लखनऊ में अपनी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी करके दिल्ली वापस लौट रहे थे। संयोग से दोनों ही एक ही समय लखनऊ के चौधरी चरण सिंह हवाईअड्डे एयरपोर्ट पर पहुंचे। इस दौरान एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में दोनों नेताओं के बीच देर तक बातचीत हुई। रालोद नेताओं ने इस मुलाकात की पुष्टि की है।
प्रियंका गांधी और जयंत चौधरी के बीच एयरपोर्ट पर हुई मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई, इस पर कयास लगाए जाने लगे हैं। दोनो नेताओं के बीच मुलाकात ऐसे समय हुई है, जब कांग्रेस यूपी में एक मजबूत सहयोगी की तलाश में है, जिसके सहारे वह 2022 के विधानसभा चुनाव में उतर सके। दूसरी ओर जयंत चौधरी भी अब अपने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमित दायरे से बाहर निकलकर प्रदेश स्तर पर सक्रिय होना चाहते हैं। सपा से जुड़ाव उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित रखना चाहेगी, यही वजह है कि उनका कांग्रेस की ओर झुकाव हो सकता है।
किसान आंदोलन से आरएलडी को पश्चिम यूपी में राजनीतिक संजीवनी मिली है, जिसके चलते कांग्रेस की नजर जयंत चौधरी पर है। हालांकि, यूपी में सपा और रालोद का गठबंधन लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन सीट शेयरिंग के लेकर पेंच फंसा हुआ है। दोनों ही दलों के बीच अभी तक सीट बंटवारे को लेकर तो कोई सहमति नहीं बन पाई है। वहीं, कांग्रेस और रालोद दोनों ही राज्य में अपना राजनीतिक वजूद बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं। दोनों के राजनीतिक भविष्य के लिहाज से उत्तर प्रदेश का यह चुनाव बेहद अहम है।
अखिलेश यादव रालोद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित रखना चाहते हैं। वह रालोद को कब और कितनी सीटें देंगे, इस पर वह जवाब देने से बचते रहे हैं। वहीं, जयंत चौधरी ने भी अब तक गठबंधन को लेकर बयान नहीं दिया है। ऐसे में प्रियंका गांधी के साथ जयंत चौधरी की मुलाकात के बाद नए सियासी समीकरण बनने के कयास लगाए जाने लगे हैं।
दरअसल, कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा को आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य नियुक्त किया है। दीपेंद्र और जयंत चौधरी दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं और दोनों के बीच रिश्ते भी बहुत अच्छे हैं। उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय को साधने लिए कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा को लगा रखा है। दीपेंद्र हुड्डा रालोद और कांग्रेस के बीच गठबंधन के सेतु बन सकते हैं।