पटना | गांधी मैदान में सीरियल ब्लास्ट में अभियुक्त बनाए गए उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के फकरूद्दीन को एनआइए कोर्ट द्वारा निर्दोष साबित किए जाने के बाद गुरुवार को उसे जेल से रिहा कर दिया गया। जेल गेट पर फकरूद्दीन के चाचा सुजाउद्दीन और उसका एक दोस्त पहुंचा था। जेल गेट से बाहर निकलते ही वह चाचा और दोस्त के गले से लिपटकर रोने लगा। घर वालों का हाल पूछा और मोबाइल पर अपने मां-पिता, बेटी-बेटा की तस्वीर देखी।फकरूद्दीन के चाचा ने बताया कि एनआइए की टीम के सदस्यों ने कहा था कि आपका लड़का निर्दोष है। फैसले के दिन घर से लेकर मोहल्ले वाले सब दुआ कर रहे थे। रिहाई की खबर सुन हम लोग खुशी से झूम उठे। फकरूद्दीन के पिता गुलाम मुुर्तजा पेशे से मजदूर हैं। चार बेटों में वह सबसे बड़ा है। पत्नी शहाना बेगम और मां जरीना बस दुआ करती रहती थीं।
- गांधी मैदान ब्लास्ट में रिहा फकरूद्दीन चाचा और दोस्त से लिपटकर रो पड़ा
- आठ साल की हुई वह बेटी जिसका जन्म के बाद चेहरा भी नहीं देख पाया था
जेल से रिहा होने के बाद फकरुद्दीन ने कहा कि आठ साल पहले 23 फरवरी को मेरी बेटी जिस दिन पैदा हुई थी उसी दिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मैंने अपनी बेटी का चेहरा तक नहीं देखा। बेटी जैनब आठ की हो गई और मेरा बेटा अहद साढ़े नौ साल का हो गया। बस एक फोन काल के कारण मेरा आठ साल बर्बाद हो गया।
घर जल्द जाने की दिखी बेचैनी
जेल से रिहाई की खबर सुनने के बाद फकरुद्दीन के घर में इतना पैसा नहीं था कि कोई उससे बेउर लेने आ सके। मोहल्ले के एक व्यक्ति ने आने- जाने के लिए तीन टिकट का खर्च दिया और दोस्तों ने चंदाकर तीन हजार रुपये दिए। इसके बाद चाचा बेउर पहुंचे। वह मगध एक्सप्रेस से घर रवाना हो गया।