नई दिल्ली| अंतरिक्ष में नष्ट हो चुके उपग्रहों के 9 लाख टुकड़े 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से मंडरा रहे हैं। दुनियाभर के देशों में सैटेलाइट छोड़ने की मची होड़ के बीच अगर कोई बड़ा टुकड़ा वायुमंडल में दाखिल होते समय पूरी तरह नहीं जला, तो धरती पर तबाही मचा सकता है। फिलहाल, अंतरिक्ष में जाने वाले कबाड़ को ज्यादातर रडार द्वारा मैप किया जाता है। लेकिन, अनुमानित 34 हजार परिक्रमा कर रही वस्तुओं में से 10 या उससे अधिक सेंटीमीटर की 29 हजार वस्तुओं को ही पूरी सटीकता के साथ ट्रैक किया जा रहा है।
अंतरिक्ष में जमा इस कचरे को हटाने के लिए कई देशों की निजी कंपनियां भी बाजार में आ गई हैं। साल 2020 में इन कंपनियों का कुल कारोबार 6321 करोड़ रुपए का था, जिसके 2025 तक 12 हजार करोड़ रुपए होने की संभावना आंकी गई है। ​
एपल के सह संस्थापक वाॅज भी स्पेस एजेंसी खाेलेंगे
अंतरिक्ष में मलबा ट्रैक करने और उसे हटाने के लिए कई निजी कंपनियां बाजार उतर रही हैं। बुधवार काे एपल के सह संस्थापक और तकनीकी विशेषज्ञ स्टीफन गैरी वोज्नियाक ‘वाॅज’ ने भी अपनी निजी स्पेस कंपनी खाेलने की घाेषणा की। अंतरिक्ष यात्रा की बढ़ती हाेड़ काे देखते हुए अब कई देशाें की सरकारी स्पेस एजेंसियां भी निजी कंपनियाें की ओर रुख कर रही हैं।
2030 तक एक लाख उपग्रह हाेंगे अंतरिक्ष में
अंतरिक्ष में जैसे-जैसे परिक्रमा करने वाली वस्तुएं बढ़ती हैं, मलबे का खतरा बढ़ते जाता है। आम ताैर पर अंतरिक्ष में मलबे के एक दर्जन बड़े टुकड़े हर साल टकराव, रॉकेट ईंधन के विस्फोट या दबाव वाले टैंक या फिर पुरानी बैटरी के टूटने से पैदा हाेते हैं। वर्जीनिया में एक कंसल्टेंसी ब्राइसटेक के अनुसार, 2001 के अंत में 771 सक्रिय उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे थे।
2011 में इसकी संख्या बढ़कर 965 हो गई थी। वारसॉ में पोलिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मैसीज कोनाकी का कहना ​​है कि दशक के अंत तक अंतरिक्ष की कक्षा में 1 लाख सक्रिय उपग्रह हो सकते हैं। जिस तेज गति से अंतरिक्ष यानाें की संख्या बढ़ रही है, उससे दाेगुनी तेजी से मलबे का खतरा बढ़ते जा रहा है।