नई दिल्ली ।  देश में कंटेनर की किल्लत झेल रहे निर्यातकों को आने वाले दिनों में कुछ राहत मिल सकती है। सरकार अलग-अलग जगहों पर फंसे कंटेनरों को जल्द से जल्द खाली कराने के निर्देश जारी कर सकती है। उद्योग जगत ने सरकार को चिट्ठी लिखकर इस बारे में गुहार लगाई है। भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ यानि फियो के महानिदेशक डॉक्टर अजय सहाय ने कहा है कि सरकार को इस बारे में सुझाव भेजे गए हैं। साथ ही चिट्ठी लिखकर फंसे कंटेनरों और दूसरी परेशानियों की जानकारी भी साझा की गई है। उनके मुताबिक सरकार से मांग की गई है कि जो भी खाली कंटेनर भारत से बाहर जा रहे हैं, उनको रेग्युलेट किया जाए। इस बारे में कलकत्ता पोर्ट ने नियम बनाए हैं कि वो खाली न जाएं, बाकी पोर्टों को भी इस तरह के नियम बनाने की जरूरत है। वहीं, देश में करीब 20 हजार कंटेनर अलग-अलग पोर्ट और कस्टम में फंसे पड़े हैं। ये कंटेनर या तो आयातकों ने रोक रखे हैं या फिर कस्टम ने पकड़ रखे हैं। सरकार से मांग की गई है कि इन कंटेनरों को समयबद्ध तरीके से जल्द से जल्द छोड़ा जाए। ताकि ये कंटेनर निर्यात चेन का हिस्सा बन सकें और कारोबारियों को आसानी हो सके। अजय सहाय ने बताया है कि कारोबारियों की ये भी मांग है कि प्राथमिकता के आधार पर बुकिंग का सिस्टम शिपिंग कंपनियों ने शुरू कर दिया है। इसमें ज्यादा पैसे देने पर बुकिंग मिल जाती है लेकिन उसका खामियाजा बाकी निर्यातकों को उठाना पड़ता है। यदि सामान्य कारोबारी बुकिंग करता है तो शिपिंग कंपनियों की तरफ से उसका कंफर्मेशन नहीं आता है। वहीं 800-900 डॉलर ज्यादा देकर कोई प्राथमिकता आधारित बुकिंग कराता है तो उसे तुरंत कंटेनर मिल जाता है। इसके चलते कंटेनर का किराया असमान तरीके से बढ़ता जा रहा है। सरकार को इस पर तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है। सरकार इन सभी प्रस्तावों पर विचार कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय और शिपिंग मंत्रालय के अधिकारी सभी हितधारकों के साथ बातचीत के जरिए इसका रास्ता निकालने के काम में लगे हुए हैं।