
मैनपुरी| जेल में बंदियों को अपराधी मनोवृत्ति से दूर करके रचनात्मक कार्यों से जोड़ने के लिए बंदियों को स्वावलंबी बनाया जा रहा है। जेल परिसर खेत में बंदी हरी सब्जियों की खेती कर रहे हैं। जेल के खेत में उगाई गई हरी सब्जियां ही बंदियों को खाने में दी जा रही हैं।
बंदियों को जेल में स्वावलंबी तथा आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेल में पहल की गई है। बंदियों को खाने में हरी सब्जियां मिल सकें इसके लिए जेल प्रशासन ने पहल की है। जेल आने से पहले खेतीबाड़ी करने वाले बंदियों को खेती करने का जिम्मा दिया गया है। बंदी भी जेल के खेत में खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं। जेल अधिकारियों की पहल पर शुरू किए गए काम में खेतीबाड़ी करने में रुचि रखने वाले बंदी खेती करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जेल 60 से अधिक बंदी हरी सब्जियों का उत्पादन करने में लगे हैं।
बीस बीघा खेत में कर रहे सब्जी
जेल के बीस बीघा खेत में बंदी हरी सब्जियों को उगा रहे हैं। हरी सब्जियों के हिसाब से ही खेत को टुकड़ों में बांटा गया है। बंदियों की इच्छा के अनुसार ही हरी सब्जियां उगाई जा रही हैं। जेल के खेत में आलू, अरबी, लौकी, तोरई, टमाटर, भिंड़ी, कद्दू, बैंगन, करेला, परमल, पालक, मैंथी का उत्पादन किया जा रहा है।
जेल में बंदियों को कार्यों से जोड़ने की पहल की गई है। इसके पीछे मंशा उनकी आपराधिक सोच बदलने की है। खेती के काम में अच्छी भूमिका निभाने वाले बंदियों को समय-समय पर पुरस्कृत भी किया जाता है।
पवन कुमार त्रिवेदी, जेल अधीक्षक