
इस्लामाबाद । पाकिस्तान में बकरीद के अवसर पर ढाई अरब डॉलर (400 अरब पाकिस्तानी रुपये) मूल्य के 90 लाख पशुओं की कुर्बानी दी गई। इसमें 300 अरब रुपये की 40 लाख गायों की कुर्बानी शामिल है। चमड़े के निर्यातकों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल 1 अरब डॉलर ज्यादा मूल्य के पशुओं की कुर्बानी दी गई। ईद-उल-अजहा मुस्लिमों का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सऊदी अरब हज के लिए नहीं जा सके, इस वजह से कुर्बानी की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी कोरोना वायरस प्रतिबंधों की वजह से हज के लिए सऊदी अरब नहीं जा पाए, इस वजह से उन्होंने अपने घर पर ही कुर्बानी दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में पिछले साल डेढ़ अरब डॉलर के पशुओं की कुर्बानी दी गई थी। एक पाकिस्तानी अधिकारी अदुल सलाम ने कहा, 'हमारा अनुमान है कि 80 से 90 लाख पशुओं की ईद उल अजहा पर कुर्बानी दी गई है। इसमें गाय, भेड़, बकरी और ऊंट शामिल हैं।'
सलाम ने कहा कि चूंकि लोग हज पर नहीं जा पाए इसलिए उन्होंने हमारे 70 लाख के अनुमान से ज्यादा पशुओं की कुर्बानी दी। चमड़ा व्यापारी दानिश खान ने कहा कि इस साल 400 अरब रुपये के पशु कुर्बान किए गए। हालांकि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा अभी नहीं आया है। खान ने भी कहा कि यह वृद्धि हज पर नहीं जा पाने की वजह से हुई है। वहीं एक अन्य अनुमान में कहा गया है कि कुर्बान किए गए पशुओं की संख्या अनुमान से कहीं ज्यादा हो सकती है। खान ने कहा, 'इस साल 30 से 40 लाख गायों की कुर्बानी दी गई। उन्होंने कहा कि इतनी गायों की कीमत ही 300 अरब पाकिस्तानी रुपये होगी। इसके अलावा बकरियों, भेड़ों और ऊंटों की कुर्बानी दी गई। इस कुर्बानी के दौरान काफी चमड़ा बर्बाद भी हो गया।