
जयपुर । राजस्थान में कांग्रेस कमेटी की वर्चुअल बैठक में पार्टी पदाधिकारियों ने राजनीतिक नियुक्तियों की चर्चा की गई। इस दौरान निर्देशों की अवहेलना के आरोप लगाया गया। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ नेता और पीसीसी के उपाध्यक्ष राजेन्द्र चौधरी ने बैठक में इसे लेकर कड़ा विरोध जताया। प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने पार्षदों के मनोनयन को लेकर पार्टी की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे, लेकिन नियुक्तियों में उनका ध्यान नहीं रखा गया जिसे लेकर बैठक में विरोध के स्वर उठे। विरोध को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा पहले तो सकपकाए लेकिन बाद में मामले को दिखवाने की बात कही।
दरअसल, कुछ महीनों पहले पीसीसी में हुई पार्टी की बैठक में प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने निर्देश दिए थे कि जो कार्यकर्ता चुनाव लड़ चुके हैं उन्हें नियुक्तियां नहीं दी जाए। इसकी बजाय उन लोगों को उन कार्यकर्ताओं को मनोनीत किया जाए जिन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि यदि चुनाव में वाल्मिकी समाज के प्रतिनिधि जीतकर नहीं आए हैं तो पार्षदों के मनोनयन में वाल्मिकी समाज को प्रतिनिधित्व दिया जाए। इस बैठक में राजेन्द्र चौधरी ने इन्हीं निर्देशों की अवहेलना पर अपना विरोध जताया। उन्होंने कहा कि निकायों में वाल्मिकी समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इसके साथ ही कई ऐसे लोगों को भी पार्षद मनोनीत कर दिया गया है जो टिकट लेकर चुनाव लड़े और हार गए। ऐसा कई निकायों में हुआ है जहां राजनीतिक नियुक्तियों में प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने निर्देशों की अवहेलना हुई है। जोधपुर के पीपाड़ सिटी में वाल्मिकी समाज के व्यक्ति को पार्षद मनोनीत नहीं किया गया। इसके साथ ही यहां ऐसा वाकया भी सामने आया कि चेयरमैन के पुत्र को ही पार्षद मनोनीत कर दिया गया।
ऐसी स्थितियां होने से जो कार्यकर्ता इन नियुक्तियों के हकदार थे और पार्टी के लिए पूरे मनोयोग से काम कर रहे थे वो निराश हैं। पार्टी के भीतर ही अब नियुक्तियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र चौधरी ने पार्टी की बैठक में मामला उठाकर सुगबुगाहट छेड़ दी है और आने वाले दिनों में इन नियुक्तियों को लेकर व्यापक विरोध भी देखने को मिल सकता है।